मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

Some definations and discussions.

इश्वर:
अलौकिक कल्पना जो सही, सर्व शक्तिशाली, सर्वज्ञ,  प्रवर्तक और ब्रम्हांड का शाशक है.

नास्तिक:
एक मनुष्य जो स्वयं मैं विश्वाश रखता है, अपनी हर करनी और उसके परिणाम की जिम्मेदारी लेता है, स्वयं का शाशक है.

फिर यह दोनों भिन्न कैसे हुए, इन दोनों की परिभाषा केवल स्वयं और समूह पर भिन्न हैं. हम जानते हैं कई स्वयं मिल कर समूह बनता है तो इश्वर स्वयं से भिन्न कैसे है, और अगर वह भिन्न नहीं है तो उसकी आवश्यकता क्यों है.

शायद इसी भेद का ज्ञान आस्तिक को नास्तिक बना देता है.